रिपोर्टर– ऐजाज हुसैन

किसान आंदोलन के सात माह पूर्ण होने तथा आपातकाल दिवस के मौके पर संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर खेती बचाओ, लोकतंत्र बचाओ दिवस मनाया गया। इस दौरान समीपवर्ती बिन्दुखत्ता क्षेत्र के बाजार में कोविड नियमों का पालन करते हुए लोकतंत्र मार्च निकालकर विरोध प्रदर्शन किया गया। तत्पश्चात तहसील लालकुआं के माध्यम से किसान विरोधी कानूनों को रद्द करवाने और एमएसपी की कानूनी गारंटी बाबत राष्ट्रपति को रोष पत्र भेजा गया।

भाकपा (माले) जिला सचिव डॉ0 कैलाश पाण्डेय ने कहा कि पिछले सात महीने में मोदी सरकार ने किसान आंदोलन के साथ जो कुछ किया है वो हमें 46 साल पहले लादी गई इमरजेंसी की याद दिलाता है। आज सिर्फ किसान आंदोलन ही नहीं, मजदूर आंदोलन, विद्यार्थी-युवा और महिला आंदोलन, अल्पसंख्यक समाज और दलित, आदिवासी समाज के आंदोलन का भी दमन हो रहा है।

विरोधियों का मुंह बंद रखने के लिए यूएपीए जैसे खतरनाक कानूनों का दुरुपयोग हो रहा है बिना इमरजेंसी घोषित किए ही हर रोज लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा है। ऐसे में खेती बचाओ-लोकतंत्र बचाओ का किसानों का आह्वान बिल्कुल समयानुकूल है। इस प्रदर्शन में मुख्य रूप से बहादुर सिंह जंगी, डॉ0 कैलाश पाण्डे, ललित मटियाली, विमला रौथाण, गोविंद जीना, पुष्कर दुबड़िया, किशन बघरी, स्वरूप सिंह दानू, कमल जोशी, धीरज कुमार, हरीश चंद्र सिंह भंडारी, एनडी जोशी, महेंद्र मौर्य, निर्मला शाही, त्रिलोक राम, प्रोनोबेस करमाकर, सुबोध, शिवा कोरंगा, खीम सिंह, अंगद सिंह व रवि आदि शामिल थे।

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