दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान, देहरादून द्वारा रेसकोर्स में आयोजित श्रीमद् देवी भागवत् कथा के तीसरे दिन सद्गुरू श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या कथा व्यास भागवताचार्या साध्वी विदुषी अदिति भारती जी ने भारी संख्या में उपस्थित भक्त-श्रद्धालुगणों के मध्य बताया कि शक्ति के साक्षात्कार के द्वारा ही मानव मन में बुराईयों रूपी महिषासुर का अंत होगा तथा धर्म की स्थापना हो पाएगी।
प्रत्येक दिवस की भांति आज भी सभा के प्रारम्भ में मंचासीन ब्रह्म्ज्ञानी संगीतज्ञों द्वारा मनोहारी भजनों के प्रस्तुतिकरण के साथ भक्तजनों को भावविभोर किया गया। भजनों में भगवान श्री कृष्ण की अभिवंदना में गाए गए गढ़वाली भजन के साथ साथ-साथ माँ जगदम्बा भवानी की स्तुति में- पार करो मेरा बेड़ा भवानी, पार करो मेरा बेड़ा…….., सागर का छोर नहीं रे…… इत्यादि भजनों के द्वारा खूब समां बांधा गया।
आज के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में कैबिनेट मंत्री श्री गणेश जोशी जी, विशिष्ट अतिथि के रूप में महापौर नगर निगम श्री सुनील उनियाल गामा जी, श्री सुरेश कोहली जी पूर्व महापौर रूद्रपुर, श्री शिव अरोड़ा जी विधायक रूद्रपुर तथा श्री राकेश गुप्ता जी वरिष्ठ अधिवक्ता व सदस्य बार एसोसिएशन, एडवोकेट अनिल कुमार शर्मा, अध्यक्ष बार कॉउंसिल, देहरादून ने दीप प्रज्जवलित कर कथा में अपना योगदान दिया।
कथा व्यास साध्वी विदुषी अदिति भारती जी ने बताया कि माँ भवानी का महिषासुर मर्दिनी स्वरूप उन लोगों के लिए चेतावनी है जो नारी को अबला समझते हैं। ब्रह्म्ज्ञान प्राप्ति के उपरान्त प्रत्येक नारी अपने जगदम्बा स्वरूप से परिचित हो सकती है तथा वह स्वस्थ समाज़ के निर्माण में अपनी अग्रणी भूमिका सुनिश्चित कर सकती है। साध्वी जी ने भारतीय शास्त्रों-धर्मग्रन्थों को एक विराट तथा विलक्षण उपलब्धियाँ बताते हुए माँ के अवतरण की विविध कथाओं के संबंध में कहा कि यह अपने भीतर जीवन को पूर्ण परिवर्तनीय तथा समाज़ को आंदोलित करने वाले गूढ़ रहस्यों को समेटे हुए है।
आज के प्रसंग में कथा व्यास जी द्वारा महिषासुर वध के संबंध में गहन विश्लेषण प्रस्तुत करते हुए बताया कि महिषासुर मात्र एक पौराणिक पात्र ही नहीं है बल्कि यह आज समाज़ में बढ़ती हुई हिंसा, बढ़ते बलात्कार, देह व्यापार, बढ़ती अश्लीलता एवं पथभ्रष्ट होते युवाओं के रूप में दृष्टिगोचर होता है। वास्तव में इन सभी का मूल कारण मानव मन के अंतस में व्याप्त होते काम वासना से विक्षिप्त हुए महिषासुर रूपी मन ही है। माँ जगदम्बिका भवानी का महिषासुर मर्दिनी स्वरूप एैसे समाज़ के लिए भय का पर्याय बन इन महिषासुरों के लिए एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने बताया कि जब-जब काम से पीड़ित मनुष्य नारी का तिरस्कार करता है, उसे वस्तु के रूप में देखता है तब-तब समाज़ असंतुलित हो जाता है। बढ़ते हुए महिला उत्पीड़न के मामलों की ओर इंगित करते हुए उन्होंने कहा कि सद्गुरू श्री आशुतोष महाराज जी का कथन है कि यदि समाज़ को संतुलित करना है तो आज नारी को अपने वास्तविक शक्ति स्वरूप के प्रति जाग्रत होना होगा, साथ ही समाज़ को भी उसकी ओजस्विता को समझना होगा। साध्वी जी ने बताया कि श्री आशुतोष महाराज जी के दिव्य नेतृत्व में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा संचालित लिंग समानता कार्यक्रम ‘संतुलन’ के माध्यम से नारियों को सशक्त करते हुए समाज़ को नारी के अस्तित्व के प्रति जागृत और कन्या भ्रूण हत्या रूपी कुरीति को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए कृत-संकल्पित है, निरंतर कार्यरत है।
विदित हो कथा कार्यक्रम का डी-लाइव प्रसारण 12 से 18 अप्रैल सुबह 10 से 01 बजे तथा सांय 07 से 10 बजे तक संस्थान के यूट्यूब चैनल पर भी किया जाएगा।