नोएडा के सेक्टर-41 की 76 वर्षीय बुजुर्ग महिला सरला देवी साइबर ठगों के जाल में फंस गईं। ठगों ने उन्हें डराने के लिए एक बड़ा और चौंकाने वाला झूठ रचा, जिसमें आरोप लगाया गया कि उनके बैंक खाते और मोबाइल नंबर का उपयोग पहलगाम हमले जैसी आतंकवादी गतिविधियों के लिए फंडिंग में किया गया है। इस घटना ने साइबर ठगी की बढ़ती गंभीरता को फिर से उजागर किया है, खासकर बुजुर्गों को निशाना बनाने वाले अपराधियों के तौर-तरीकों को।

ठगों ने खुद को एयरटेल के हेड ऑफिस और मुंबई क्राइम ब्रांच के अधिकारी बताते हुए सरला देवी को फोन किया। उन्होंने महिला को डराया कि उनके नाम पर मुंबई में मोबाइल नंबर और बैंक अकाउंट खोले गए हैं, जिनका इस्तेमाल अवैध गतिविधियों जैसे गैम्बलिंग, हवाला और आतंकवादी फंडिंग में किया जा रहा है। ठगों ने यह भी बताया कि पहलगाम आतंकवादी हमले के लिए फंडिंग में भी उनके नंबर का इस्तेमाल किया गया है। इस झूठे आरोप ने सरला देवी को पूरी तरह डरा दिया।

ठगों ने सरला देवी को व्हाट्सएप वीडियो कॉल पर नकली पुलिस अधिकारी दिखाकर और भी दबाव बनाया। वीडियो कॉल में उन्होंने नकली पुलिस अधिकारी बनकर महिला को यह विश्वास दिलाया कि उनके खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया गया है। इस तरह की धोखाधड़ी से सरला देवी मानसिक रूप से काफी परेशान हो गईं। ठगों ने उन्हें कहा कि वे अपनी जांच क्लियर करने के लिए सिक्योरिटी मनी जमा कराएं, जो बाद में वापस कर दी जाएगी। इस डर और दबाव में आकर सरला देवी ने ठगों के कहने पर पैसे जमा करवा दिए।

यह मामला साइबर ठगी के बढ़ते खतरों को दर्शाता है, खासकर बुजुर्ग और सामाजिक रूप से कमज़ोर लोगों को निशाना बनाया जा रहा है। ठग आधुनिक तकनीक का उपयोग कर लोगों को भ्रमित और डराते हैं, ताकि वे आसानी से फंस जाएं। सरला देवी के साथ हुई ठगी का यह तरीका दिखाता है कि साइबर अपराधी कितने चालाक और कायराना तरीके अपनाते हैं।

इस घटना ने लोगों को एक बार फिर सचेत किया है कि वे ऐसे किसी भी कॉल या संदेश पर विश्वास न करें, जिसमें उनसे बैंक या व्यक्तिगत जानकारी मांगी जाए या धमकी दी जाए। बैंक, पुलिस या किसी सरकारी विभाग की ओर से इस तरह की कॉल आने पर हमेशा सावधानी बरतनी चाहिए और सीधे संबंधित विभाग से संपर्क करना चाहिए।

सरला देवी की इस ठगी की कहानी यह भी बताती है कि बुजुर्गों को तकनीकी ज्ञान के साथ-साथ साइबर सुरक्षा के बारे में जागरूक किया जाना कितना जरूरी है। परिवार और समाज को मिलकर बुजुर्गों को इस तरह के खतरों से बचाने के लिए कदम उठाने होंगे।

अधिकतर मामलों में ठग मोबाइल फोन, व्हाट्सएप और वीडियो कॉल का उपयोग कर नकली अधिकारी बनकर लोगों को भ्रमित करते हैं। इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस और साइबर सुरक्षा एजेंसियों को भी अपनी जांच और जागरूकता अभियानों को तेज करना होगा। साथ ही, आम जनता को भी सतर्क रहने और ऐसी धोखाधड़ी से बचने के लिए सटीक जानकारी दी जानी चाहिए।

सरला देवी के साथ हुई यह घटना एक चेतावनी है कि साइबर ठगी अब किसी भी उम्र या वर्ग के लोगों को निशाना बना सकती है। हमें तकनीकी विकास के साथ-साथ सुरक्षा उपायों पर भी बराबर ध्यान देना होगा, ताकि इस तरह के अपराधों से बचा जा सके।

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