नई दिल्ली | अब राज्यसभा के सांसदों को उनकी संसदीय कार्यक्षमताओं को बेहतर ढंग से निभाने के लिए अत्याधुनिक गैजेट्स मुहैया कराए जाएंगे। इनमें स्मार्ट टीवी, स्मार्ट प्रोजेक्टर, वियरेबल्स (जैसे स्मार्टवॉच आदि) और अन्य डिजिटल उपकरण शामिल हैं। यह निर्णय ‘राज्यसभा सदस्यों के लिए कंप्यूटर उपकरणों की वित्तीय पात्रता योजना’ के तहत लिया गया है, जो 2008 के नियमों के अंतर्गत आता है।
यह योजना सांसदों को उनके संसदीय कर्तव्यों के निर्वहन के लिए डिजिटल रूप से सशक्त बनाने के उद्देश्य से चलाई जा रही है। इसके तहत सांसद अपने निर्धारित वित्तीय अधिकार के अनुसार उपकरण खरीद सकते हैं और उसकी मूल रसीद जमा कराकर रिइम्बर्समेंट (वापसी भुगतान) का दावा कर सकते हैं।
योजना की प्रमुख बातें:

- सदस्यों को मिलने वाली वित्तीय पात्रता:
- अगर कोई सदस्य राज्यसभा के लिए तीन वर्ष से अधिक की अवधि के लिए निर्वाचित या मनोनीत होता है, तो उसे ₹2,00,000/- तक की राशि कंप्यूटर उपकरणों की खरीद के लिए दी जाती है।
- अगर कोई सदस्य उपचुनाव में चयनित होकर तीन वर्ष या उससे कम अवधि के लिए सदस्य बनता है, तो उसे ₹1,50,000/- की पात्रता मिलती है।
- इसके अतिरिक्त, एक और ₹1,00,000/- की राशि ऐसे सदस्य को मिलती है जिसने तीन वर्ष की सेवा पूरी कर ली हो और जिसकी शेष अवधि कम से कम छह महीने शेष हो।
- पहले से मिलने वाली सुविधाएं:
राज्यसभा सांसदों को पहले ही एक डेस्कटॉप, लैपटॉप, प्रिंटर, स्कैनर, यूएसबी ड्राइव, यूपीएस और स्मार्टफोन जैसी सुविधाएं मिल रही हैं। अब इसमें स्मार्ट गैजेट्स जैसे कि स्मार्ट टीवी, प्रोजेक्टर और वियरेबल्स को जोड़ा गया है, जिससे उनके कार्य को और अधिक स्मार्ट और प्रभावी बनाया जा सके। - उद्देश्य:
योजना का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सांसद तेजी से बदलती डिजिटल दुनिया में भी अपनी भूमिका को प्रभावी ढंग से निभा सकें। वे बजट भाषण, नीति दस्तावेज, आंकड़ों की प्रस्तुति, ऑनलाइन बैठकों और वर्चुअल सभाओं में तकनीकी रूप से सक्षम बने रहें। - महत्वपूर्ण बैठक:
इस विषय पर निर्णय 23 मई को आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में लिया गया, जिसमें राज्यसभा सचिवालय और अन्य तकनीकी विभागों के अधिकारियों ने भाग लिया।

यह कदम न केवल सांसदों की कार्यशैली को आधुनिक बनाएगा, बल्कि डिजिटल इंडिया की दिशा में संसद को भी आगे बढ़ाएगा। आने वाले समय में सांसदों के लिए ये उपकरण उनके संसदीय प्रश्नों, प्रस्तुतियों और सार्वजनिक संवाद के तरीके को और अधिक प्रभावी बना सकते हैं।