शोल्ड हैव बीन टाइम्ड आउट’: इंग्लैंड के दिग्गज ने ऋषभ पंत पर लगाया ‘चोट का नाटक’ करने का आरोप
इंग्लैंड के खिलाफ मैनचेस्टर टेस्ट में भारतीय विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत ने जबरदस्त वापसी की है। टूटा हुआ पैर अंगुली (फ्रैक्चर) होने के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और शानदार अर्धशतक जमाया। यह उनकी बहादुरी का परिचायक था कि चोट के बावजूद वह मैदान पर उतरे और अपनी टीम के लिए मुकाबला जारी रखा। जैसे ही शार्दुल ठाकुर के आउट होने के बाद पंत ड्रेसिंग रूम की ओर लौटे, पूरी ओल्ड ट्रैफर्ड स्टेडियम ने खड़े होकर उनका जोरदार अभिवादन किया। इस बहादुरी को देखकर हर कोई उनका सम्मान कर रहा था।

लेकिन इस वीरता के बीच एक अजीबोगरीब घटना भी हुई। इंग्लैंड के पूर्व दिग्गज क्रिकेटर डेविड लॉयड ने बताया कि ‘लीजेंड्स लाउंज’ में पंत को लेकर कुछ विवादित बातें हुईं। उन्होंने कहा कि वहां मौजूद कुछ क्रिकेट महानुभावों का मानना था कि पंत चोट को ‘मिल्क’ यानी बढ़ा-चढ़ा कर पेश कर रहे हैं। कुछ ने तो यह तक कहा कि पंत को ‘टाइम्ड आउट’ भी घोषित किया जाना चाहिए था।
डेविड लॉयड ने बताया कि, “मैंने खुद फुट की मेटाटारसल हड्डी में चोट नहीं देखी है, लेकिन मैंने एंडी रॉबर्ट्स के खिलाफ हाथ टूटा हुआ महसूस किया है और गाल की हड्डी भी टूटी है। उन चोटों के बावजूद मैं बल्लेबाजी जारी नहीं रख पाया था। हालांकि, एक बार मेरी उंगली टूटी हुई थी, तब मैंने बल्लेबाजी जारी रखी थी। पंत को देखकर ऐसा लग रहा था कि वह दर्द में हैं, और उनके मैदान पर आना बहुत ही बहादुरी की बात थी। मैं आज उस लीजेंड्स लाउंज में था और वहां का सेंसस यह था कि ‘वह चोट को बढ़ा-चढ़ा कर दिखा रहे हैं। चोट इतनी गंभीर नहीं हो सकती। वह इसे ‘मिल्क’ कर रहे हैं। और कुछ लोगों ने कहा कि ‘उसे टाइम्ड आउट घोषित किया जाना चाहिए।’”
यह टिप्पणी पंत के साहस और खेल भावना के बीच एक बड़ा विवाद पैदा कर रही है। ऋषभ पंत ने टूटी हुई चोट के बावजूद अपनी टीम के लिए मजबूती दिखाई और अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाया। भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के लिए यह गर्व की बात है कि उनका खिलाड़ी इतनी चुनौतियों के बावजूद मैदान में खेलता रहा।
इस मामले में पंत की भली-भांति परीक्षा हो रही है। चोट के बावजूद उनके प्रदर्शन को लेकर उनकी आलोचना करना विवादास्पद ही माना जा रहा है। कई लोगों का कहना है कि चोटिल खिलाड़ी को मैदान में आने का अधिकार होता है अगर वह खुद को खेलने लायक महसूस करता है। चोट की गंभीरता का निर्णय मेडिकल टीम करती है, और खिलाड़ी का खेलना या न खेलना भी उनकी सहमति से होता है। इसलिए, ‘मिल्किंग’ का आरोप लगाना उचित नहीं।
ऋषभ पंत के इस साहसिक कदम को भारत और पूरी क्रिकेट दुनिया में सराहा जा रहा है। यह साबित करता है कि पंत में न केवल शानदार बल्लेबाजी क्षमता है, बल्कि उनमें मानसिक दृढ़ता और टीम के प्रति प्रतिबद्धता भी है। उनके इस जज़्बे ने टीम इंडिया को मजबूती दी है।
“मैनचेस्टर टेस्ट में ऋषभ पंत पर लगा ‘चोट नाटक’ करने का आरोप, इंग्लैंड के दिग्गज बोले- ‘शोल्ड हैव बीन टाइम्ड आउट’!”

अंत में, ऋषभ पंत का यह मैच और उनकी चोट के बावजूद खेलना निश्चित ही क्रिकेट इतिहास में यादगार पल के रूप में दर्ज होगा। उन्होंने साबित कर दिया कि असली खिलाड़ी वही होता है जो कठिन परिस्थितियों में भी हार न माने और टीम के लिए लड़ता रहे।