माननीय मुख्यमन्त्री उत्तराखण्ड पुष्कर सिंह धामी महोदय के “VISION” सरलीकरण, समाधान एवं निस्तारण” के अन्तर्गत व पुलिस महानिदेशक उत्तराखण्ड अभिनव कुमार के दिशा निर्देशन में साईबर धोखाधड़ी करने वालों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही करते हुये साईबर पीड़ितो को न्याय दिलाया जा रहा है। इसी क्रम में स्पेशल टास्क फोर्स द्वारा जहां एक तरफ अभियोग पंजीकृत कर साइबर अपराधियों को देश भर से पड़कर जेल भेजा जा रहा है वही निरंतर दक्षता बढ़ाने हेतु कैपेसिटी बिल्डिंग का निरंतर प्रयास किया जा रहा है |
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डाटा सिक्योरिटी काउंसिल ऑफ़ इंडिया द्वारा देश भर से 40 विभिन्न स्टेट एवं एजेंसीज में से प्रथम 3 स्टेट एजेंसीज का चयन किया जिनके द्वारा Excellence in Capacity Building for Law Enforcement Agency की श्रेणी में उत्तराखंड पुलिस का चयन भी किया गया है।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ उत्तराखंड, आयुष अग्रवाल के नेतृत्व में, स्पेशल टास्क फोर्स के अधीन साइबर थाने देहरादून में पिछले एक वर्ष में लगातार विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
उत्तराखंड साइबर पुलिस के ढांचे में ‘eSuraksha Chakra’ कार्यान्वित किया जा रहा है, जिसके अंतर्गत स्पेशल टास्क फोर्स उत्तराखंड की पुलिस की नोडल एजेंसी के रूप में कार्य कर रहा है। जो लगातार भारत के इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) के साथ समन्वय स्थापित कर साइबर अपराधों के रोकथाम, उनके अनावरण एवं प्रशिक्षण में निरंतर प्रयास कर रही है |
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साइबर थाने देहरादून को I4C से प्राप्त सूचना को व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से जनपदों के साइबर सेल को जेसीईटी लिंकेज को शेयर किया जाता है | JCIT Linakges के माध्यम से डिप्टी एसपी स्पेशल ऑपरेशन द्वारा संबंधित अपराधियों को वारंट भी पर अन्य राज्यों से गिरफ्तार करने में सहायता प्रदान होती है | इस प्रकार से उत्तराखंड में गिरफ्तार किसी भी साइबर अपराधियों की जेसीआईटी लिंकेज (JCIT Linakges) को साइबर थाने देहरादून द्वारा i4 सीसी के साथ साझा किया जाता है।
साइबर थाना देहरादून देश का सर्वप्रथम थाना था जिसने साइबर के मामलों में पीड़ित की मदद हेतु Zero FIR की प्रक्रिया को अपनाया जिसको बाद में गृह मंत्रालय के I4C द्वारा भी सराहा गया है | सरकार के CCPWC प्रोजेक्ट के तहत दिए गए लक्षण को स्पेशल टास्क फोर्स द्वारा 100% (100 प्रतिशत ) पूर्ण किया गया है एवं कुछ लक्ष्य को 160 प्रतिशत (160%) पूर्ण किया गया है | इस प्रोजेक्ट के माध्यम से साइबर थाना देहरादून द्वारा माननीय न्यायाधीशों अभियोजन अधिकारियों एवं पुलिस अधिकारियों आदि को साइबर संबंधित विस्तृत प्रशिक्षण भी प्रदान किया है |
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300 पुलिस कर्मियों को प्रारंभिक प्रशिक्षण, 148 कर्मियों को बेसिक कम एडवांस्ड डिजिटल इन्वेस्टिगेशन, जिलों में पढ़ाने वाले 30 कर्मियों को ट्रेनिंग ऑफ ट्रेनर्स (ToT) प्रशिक्षण प्रदान किया गया है।
इसके अतिरिक्त पुलिस उपाधीक्षक साइबर थाना अंकुश मिश्रा द्वारा तीन दिवसीय साइबर प्रशिक्षण प्रोग्राम झारखंड पुलिस को रांची में दिया गया , दो दिवसीय ऑनलाइन प्रशिक्षण I4C के सहयोग से पूरे देश की सभी पुलिस एवं केंद्रीय एजेंसियों के लगभग 1000 अधिकारी और कर्मी को साइबर संबंधित प्रशिक्षण प्रदान किया गया है।
इसके अलावा, स्पेशल टास्क फोर्स देहरादून द्वारा नियमित अंतराल पर विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जहां स्कूल और कॉलेज के छात्रों एवं अध्यापकों को साइबर क्राइम के संबंध में जागरूक किया जाता है। विभिन्न बैंक, वित्तीय संस्थानों के लिए भी साइबर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है | पूरे क्रम में लगभग 70000 से ज्यादा लोगों को अभी तक साइबर संबंधित जागरूकता प्रदान की गई है | स्पेशल टास्क फोर्स द्वारा ही इस साल साइबर कॉमिक्स का भी एक नया प्रयोग किया गया जिसको देशभर में सराहना दी गई है जिससे बच्चों के माध्यम से भी साइबर जागरूकता करने में सहायता प्रदान हो रही है|
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यह सभी प्रयास अभियोगों के अनावरण के अतिरिक्त किया जा रहे हैं जहां साइबर थाने देहरादून द्वारा देश भर से गिरफ्तारियां की जा रही है| वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एस0टी0एफ0 उत्तराखण्ड आयुष अग्रवाल की अगुवाई में स्पेशल टास्क फोर्स द्वारा किए जा रहे सभी प्रयासों को डाटा सिक्योरिटी काउंसिल आफ इंडिया द्वारा सराहा गया है एवं भारत के प्रथम तीन साइबर एकायों में से चयन किया गया है।