मंडे मेगा स्टोरी: सुनीता विलियम्स की वापसी में कितने खतरे?

स्पेसक्राफ्ट का एंगल बदला तो जल जाएगा, सभी 6 पैराशूट टाइम पर खुलने जरूरी

अंतरिक्ष यात्रियों के लिए धरती से स्पेस जाना जितना रोमांचक होता है, उतना ही चुनौतीपूर्ण उनकी वापसी भी होती है। नासा की एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स की अंतरिक्ष से धरती पर वापसी एक महत्वपूर्ण मिशन है, जिसमें कई खतरनाक पहलू जुड़े हुए हैं।

5 जून 2024 को महज 8 दिनों के लिए इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) गईं सुनीता विलियम्स को वहां 287 दिन गुजारने पड़े। अब आखिरकार 19 मार्च 2025 को वे स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल में सवार होकर धरती पर लौटेंगी। यह स्पेसक्राफ्ट 400 किमी का सफर करीब 17 घंटे में तय करके अटलांटिक महासागर या मेक्सिको की खाड़ी में स्प्लैशडाउन करेगा। लेकिन यह वापसी आसान नहीं है।

धरती पर एंट्री का सबसे खतरनाक फेज

धरती के वातावरण में प्रवेश करने के दौरान स्पेसक्राफ्ट को सटीक एंगल बनाए रखना होगा। अगर कैप्सूल का एंगल थोड़ा भी गलत हुआ, तो यह वायुमंडलीय घर्षण से इतना गर्म हो जाएगा कि उसमें आग लग सकती है। 2003 में कोलंबिया स्पेस शटल इसी कारण जलकर नष्ट हो गया था।

इसके अलावा, धरती के करीब आने पर स्पेसक्राफ्ट की गति लगभग 28,000 किमी प्रति घंटे होती है, जिसे सुरक्षित रूप से धीमा करना बेहद जरूरी होता है। इस प्रक्रिया में सभी 6 पैराशूट सही समय पर खुलने चाहिए, वरना क्रू के लिए गंभीर खतरा हो सकता है।


स्पेस से लौटने के बाद सुनीता विलियम्स को किन दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है?

करीब 9 महीनों तक जीरो-ग्रैविटी में रहने के कारण उनके शरीर को धरती के वातावरण में ढलने में काफी समय लगेगा। आइए जानते हैं, क्या-क्या समस्याएं हो सकती हैं:

1. धरती पर चलना भूल जाना

अंतरिक्ष में रहने के दौरान शरीर की मांसपेशियां ग्रैविटी के खिलाफ काम नहीं करतीं, जिससे वे कमजोर हो जाती हैं। एक उदाहरण देखें:

  • 1 मार्च 2016 को अमेरिकी एस्ट्रोनॉट स्कॉट केली और रूसी एस्ट्रोनॉट मिखाइल कॉर्निएंको स्पेस में 340 दिन बिताकर लौटे थे। जब वे स्पेसक्राफ्ट से बाहर निकले, तो उनकी हालत इतनी खराब थी कि उन्हें चार लोगों ने उठाकर कुर्सी पर बैठाया।
  • हर महीने एस्ट्रोनॉट्स की हड्डियों की डेंसिटी 1% कम हो जाती है, जिससे पैरों, पीठ और गर्दन की मांसपेशियां कमजोर पड़ जाती हैं।

सुनीता विलियम्स को भी इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है, और उन्हें फिर से सामान्य चलने-फिरने में कुछ सप्ताह लग सकते हैं।


2. खड़े होने में परेशानी और अचानक गिरना

स्पेस में वेस्टिबुलर सिस्टम (Vestibular System) का कामकाज प्रभावित होता है, जो शरीर के संतुलन को बनाए रखता है।

  • 21 सितंबर 2006 को अमेरिकी एस्ट्रोनॉट हेडेमेरी स्टेफानीशिन-पाइपर 12 दिन स्पेस में बिताकर लौटीं। जब वे एक कार्यक्रम में खड़ी हुईं और बोलना शुरू किया, तो अचानक गिर पड़ीं।
  • कई एस्ट्रोनॉट्स को वापसी के बाद कुछ दिनों तक बैठने, खड़े होने और चलने में दिक्कत आती है।

सुनीता की वापसी के बाद भी उनकी कान, दिमाग और शरीर के बीच कोऑर्डिनेशन को सामान्य होने में समय लग सकता है।


3. चीजों को हवा में छोड़ देना

स्पेस में चीजें तैरती रहती हैं, इसलिए एस्ट्रोनॉट्स बिना सोचे-समझे चीजों को हवा में छोड़ने की आदत बना लेते हैं।

  • नासा के एस्ट्रोनॉट टॉम मार्शबर्न ने एक इंटरव्यू के दौरान जब पानी की बोतल और पेन हवा में छोड़ा, तो वे नीचे गिर गए। उन्हें तुरंत एहसास हुआ कि वे धरती पर हैं। उन्होंने हंसते हुए कहा, ‘स्टूपिड ग्रैविटी!’
  • सुनीता को भी इस तरह की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि उनका दिमाग माइक्रोग्रैविटी के अनुसार ढल चुका है।

4. कम दिखाई देना और आंखों की समस्याएं

स्पेस में रहने के कारण एस्ट्रोनॉट्स की आंखों पर गहरा असर पड़ता है।

  • कैनेडियन एस्ट्रोनॉट क्रिस हैडफील्ड ने बताया कि स्पेस में लंबे समय तक रहने के कारण उनकी दोनों आंखों में दिक्कतें आने लगी थीं और उन्हें अंधे होने का डर सताने लगा था।
  • वैज्ञानिकों के अनुसार, स्पेसफ्लाइट एसोसिएटेड न्यूरो-ओकुलर सिंड्रोम (SANS) की वजह से शरीर का तरल पदार्थ सिर की ओर बढ़ता है, जिससे आंखों की नसों पर दबाव पड़ता है।
  • स्पेस से लौटने वाले कई एस्ट्रोनॉट्स को नजर कमजोर होने के कारण चश्मा लगाना पड़ता है।

सुनीता विलियम्स को भी आंखों की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, और उन्हें मेडिकल मॉनिटरिंग की जरूरत होगी।


वापसी के बाद सुनीता के पुनर्वास कार्यक्रम

नासा और स्पेसएक्स ने सुनीता की सेहत को ध्यान में रखते हुए कई मेडिकल और फिजिकल रिकवरी प्रोग्राम तैयार किए हैं।

  1. फिजियोथेरेपी:
    • मांसपेशियों की ताकत और हड्डियों की डेंसिटी को बढ़ाने के लिए एक्सरसाइज करवाई जाएगी।
    • पैरों और रीढ़ की हड्डी पर खास ध्यान दिया जाएगा।
  2. बैलेंस ट्रेनिंग:
    • चलने और दौड़ने की सामान्य आदतों को बहाल करने के लिए बैलेंस सुधारने की ट्रेनिंग दी जाएगी।
  3. दृष्टि जांच:
    • सुनीता की आंखों की निगरानी की जाएगी और जरूरत पड़ने पर चश्मा दिया जाएगा।
  4. मनोवैज्ञानिक परामर्श:
    • स्पेस में लंबे समय तक रहने के बाद मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है, इसलिए मनोवैज्ञानिक सेशन भी होंगे।

निष्कर्ष

सुनीता विलियम्स की वापसी सिर्फ एक ऐतिहासिक घटना ही नहीं, बल्कि स्पेस साइंस और मानव शरीर की सीमाओं को समझने का एक महत्वपूर्ण अवसर भी है। उनकी सफल वापसी न केवल भारत और अमेरिका के लिए गर्व की बात होगी, बल्कि भविष्य में मंगल और अन्य ग्रहों की यात्राओं के लिए भी एक नई राह खोलेगी। अब देखना यह है कि 19 मार्च 2025 को उनकी वापसी कितनी सफल होती है और वे इन सभी चुनौतियों का कैसे सामना करती हैं।

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