देहरादून की राजपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस के पूर्व विधायक राजकुमार का टिकट खतरे में पड़ सकता है। उम्मीदवारों की लिस्ट जारी होने से ठीक पहले 10 साल पुराना मामला राजकुमार के गले की हड्डी बन गया है। सवाल राजकुमार के जाति प्रमाण पत्र को लेकर उठ रहे हैं। जिसे लेकर 2011 से ही विवाद है। इसी मामले पर समाजसेवी बालेश बवानिया ने देहरादून के DM से शिकायत की है। बालेश बवानिया का आरोप है कि राजकुमार ने फर्जी तरीके से जाति प्रमाण पत्र बनवाया है। बालेश के मुताबिक राजकुमार ने 15 फरवरी 2011 को आराघर के पते पर जाति प्रमाण पत्र बनवाया था जिसे शिकायत के बाद 6 जनवरी 2012 को निरस्त कर दिया था। मगर राजकुमार ने इसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराने की बजाय महज 4 दिन के भीतर ही यानि 10 जनवरी 2012 को नया जाति प्रमाण पत्र बनवा दिया। हैरानी इस बात की है कि राजकुमार ने नया जाति प्रमाण पत्र नये पते पर बनवाया। नया पता था मोहिनी रोड लास्ट, नया गांव देहरादून।

दावा किया जा रहा है कि राजकुमार ने नया जाति प्रमाण पत्र कांग्रेस के एक तत्कालीन कद्दावर कांग्रेस नेता के रसूख का दबाव बनाकर हासिल किया। उसी जाति प्रमाण पत्र को आधार बनाकर राजकुमार ने 2012 में राजपुर सीट से चुनाव जीता और 5 साल तक विधायक भी रहे। मगर अब चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के इस नेता का संकट बढ़ गया है। समाजसेवी बालेश बवानिया ने राजकुमार के जाति प्रमाण पत्र को फर्जी करार देते हुए DM से इसकी बारीकी से जांच कराने और कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है। DM ने भी मामले में जांच के आदेश दे दिए हैं, लेकिन सवाल इस बात का है कि आखिर जांच कब पूरी होगी और फर्जी जाति प्रमाण पत्र के मामले में क्या कार्रवाई होगी? सवाल ये भी है कि अगर जाति प्रमाण पत्र फर्जी साबित हुआ तो क्या उन अफसरों के खिलाफ भी कार्रवाई होगी जिन्होंने इसे बनाया? इनका जवाब तो अभी नहीं मिल सकता लेकिन जाति प्रमाण पत्र का ताजा विवाद राजकुमार का राजनीतिक भविष्य जरूर चौपट कर सकता है।

सबसे अहम पहलू ये है कि क्या विवादों में घिरे नेता को कांग्रेस टिकट देगी? क्या फर्जी काम करने वाले नेता को कांग्रेस आगे बढ़ाएगी? हालांकि कांग्रेस और बीजेपी दोनों दलों के नेताओं ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र मामले की निष्पक्ष जांच कराने की वकालत की है। बहरहाल चुनाव के दौर में पूर्व विधायक पर उठ रहे सवाल बेहद गंभीर हैं लेकिन इस मामले में राजकुमार सफाई देने से भी बच रहे हैं। मीडिया ने उनसे इसका जवाब जानना चाहा लेकिन वो सामने आने से ही कतरा रहे हैं। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि अगर राजकुमार ने कुछ गलत नहीं किया है तो वो बात करने से बच क्यों रहे हैं? सवाल ये भी है कि अगर 2011 में बनाया गया जाति प्रमाण पत्र सही था तो उसे खारिज किए जाने के फैसले को उन्होंने चुनौती क्यों नहीं दी। आखिर उन्हें नये पते पर नया जाति प्रमाण पत्र बनवाने की जरूरत क्यों पड़ी? आखिर सच क्या है राजकुमार क्यों नहीं बता रहे?

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