संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को एक बार फिर आयातित वस्तुओं पर शुल्क (टैरिफ) लगाने की धमकी दी है। इस बार उनका निशाना है – विदेशों से आयात किया गया फर्नीचर। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर एक पोस्ट में कहा कि अमेरिका जल्द ही फर्नीचर आयात को लेकर बड़ा टैरिफ जांच अभियान शुरू करेगा।

ट्रंप ने लिखा, “हम अमेरिका में आने वाले फर्नीचर पर एक बड़ी टैरिफ जांच कर रहे हैं। अगले 50 दिनों के भीतर यह जांच पूरी कर ली जाएगी।”

हालांकि उन्होंने अभी यह नहीं बताया कि आयातित फर्नीचर पर कितना शुल्क लगाया जाएगा, लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य अमेरिकी फर्नीचर उद्योग को फिर से मजबूत करना और नौकरियों को अमेरिका में वापस लाना है। उन्होंने खास तौर पर नॉर्थ कैरोलिना, साउथ कैरोलिना और मिशिगन जैसे राज्यों का जिक्र किया, जो पहले कभी अमेरिका के फर्नीचर उद्योग के केंद्र माने जाते थे।

क्यों उठाया गया यह कदम?

डोनाल्ड ट्रंप लंबे समय से चीन और अन्य देशों से आयात की जाने वाली वस्तुओं के खिलाफ सख्त रुख अपनाते रहे हैं। उनका तर्क है कि सस्ते विदेशी उत्पादों के कारण अमेरिकी कंपनियां बंद हो गई हैं और लाखों नौकरियाँ विदेशों में चली गई हैं। ट्रंप का यह भी कहना है कि अमेरिका को “मेक इन अमेरिका” नीति को अपनाना चाहिए ताकि देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिले।

फर्नीचर सेक्टर में, बीते कुछ दशकों में अमेरिका में उत्पादन घटा है और चीन, वियतनाम, मलेशिया जैसे देशों से आयात में वृद्धि हुई है। सस्ते दाम और बड़े पैमाने पर उत्पादन की वजह से विदेशी कंपनियों ने अमेरिकी बाजार में अपनी पकड़ बना ली है, जिससे घरेलू उत्पादकों को भारी नुकसान हुआ है।

उद्योग पर असर

यदि यह टैरिफ लागू होता है, तो यह आयातित फर्नीचर को महंगा कर सकता है, जिससे अमेरिकी उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ पड़ सकता है। लेकिन ट्रंप प्रशासन का मानना है कि इससे घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा, नई नौकरियाँ पैदा होंगी, और अमेरिका अपनी आपूर्ति श्रृंखला पर अधिक नियंत्रण हासिल कर पाएगा।

हालांकि आलोचकों का कहना है कि इस तरह के टैरिफ उपभोक्ताओं के लिए महंगाई बढ़ा सकते हैं और इससे व्यापारिक रिश्तों पर भी असर पड़ सकता है।

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