उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ 2025 ने न केवल दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में अपना नाम दर्ज किया है, बल्कि इसने एक और बड़ा रिकॉर्ड भी कायम कर लिया है – दुनिया का सबसे बड़ा जाम। इस महाकुंभ के दौरान न केवल श्रद्धालुओं का रेला लगातार बढ़ता जा रहा है, बल्कि शहर में यातायात की स्थिति भी बेहद खराब हो गई है।

पिछले 72 घंटों से प्रयागराज और आसपास के क्षेत्रों में भयंकर जाम लगा हुआ है, जो कभी भी सामान्य स्थिति में नहीं आ सका है। यह जाम सिर्फ 1-2 घंटे का नहीं, बल्कि लगातार 3 दिन से अधिक समय तक लोगों को फंसा हुआ है। मध्य प्रदेश के सतना और कटनी बॉर्डर से लेकर प्रयागराज तक लगभग 300 किलोमीटर तक जाम की स्थिति बनी हुई है, जहां यात्री मुश्किलों का सामना कर रहे हैं।
सीएम मोहन यादव की अपील
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस गंभीर स्थिति को देखते हुए विशेष अपील की है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि महाकुंभ में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में प्रदेश और अन्य प्रदेशों से श्रद्धालु प्रयागराज आ रहे हैं। इस जाम को लेकर उन्होंने प्रशासन से तुरंत राहत देने का अनुरोध किया और कहा कि श्रद्धालुओं के लिए आवश्यक सुविधाओं जैसे भोजन, पानी, शौचालय आदि का उचित प्रबंध किया जाए। उन्होंने नागरिकों और श्रद्धालुओं से प्रशासन के साथ सहयोग करने की अपील भी की है, ताकि जाम की स्थिति में सुधार किया जा सके।
जाम की स्थिति और श्रद्धालुओं का मुश्किल सफर
महाकुंभ के कारण प्रयागराज की सड़कों पर यातायात की स्थिति बेहद बिगड़ी हुई है। स्थानीय लोग और बाहर से आने वाले श्रद्धालु, दोनों ही जाम की समस्या से परेशान हैं। स्थानीय अस्पताल, स्कूल और अन्य जरूरी सेवाएं भी प्रभावित हो रही हैं। जाम की स्थिति इतनी खराब हो गई है कि 2 किलोमीटर की दूरी को भी श्रद्धालु 10 घंटे में तय नहीं कर पा रहे हैं।
इतना ही नहीं, आने वाले श्रद्धालु अब वापस लौटने लगे हैं क्योंकि दिल्ली, कानपुर और मध्य प्रदेश के रास्ते भी जाम में फंसे हुए हैं। इन रास्तों पर कई किलोमीटर लंबा जाम लगा हुआ है, और गाड़ियां जाम से बाहर निकलने का नाम नहीं ले रही हैं। बनारस और अन्य क्षेत्रों से आने वाले श्रद्धालुओं की स्थिति भी कुछ बेहतर नहीं है।

महाकुंभ 2025 के दौरान प्रयागराज में यातायात की इस भीषण समस्या को सुलझाने के लिए प्रशासन को तत्काल कदम उठाने की जरूरत है, ताकि आने वाले दिनों में श्रद्धालुओं को राहत मिल सके और वे समय पर अपने धार्मिक कर्तव्यों को निभा सकें।