राजस्थान का दिल कहे जाने वाले जैसलमेर में हर साल एक ऐसा त्योहार मनाया जाता है, जो रेगिस्तान की रेत को भी खुशियों के रंगों से भर देता है। इसे कहते हैं मरु महोत्सव।

शुरुआत की कहानी
कहते हैं कि यह उत्सव राजस्थान की संस्कृति, परंपरा और विरासत को जीवंत बनाए रखने के लिए शुरू किया गया था। समय के साथ यह दुनिया भर के पर्यटकों के लिए एक बड़ा आकर्षण बन गया। अब यह हर साल माघ पूर्णिमा के आस-पास तीन दिनों तक जैसलमेर में धूमधाम से मनाया जाता है।

फेस्टिवल की खासियत
जैसलमेर का मरु महोत्सव कोई आम मेला नहीं, बल्कि राजस्थान की आत्मा का उत्सव है।

यहाँ ऊँटों की शानदारी झांकियां और दौड़ होती है।
पारंपरिक कालबेलिया नृत्य, घूमर और लोक संगीत की जुगलबंदी होती है।
राजस्थानी राजाओं जैसी शाही वेशभूषा प्रतियोगिता होती है।
सबसे दिलचस्प मुकाबलों में से एक है मिस मरवाड़ और मिस्टर डेजर्ट प्रतियोगिता।
रात के समय रेत के समंदर में संगीत और नृत्य की महफिलें सजती हैं।
रेगिस्तान में चाँदनी रात की जादूगरी
इस महोत्सव का असली जादू तब देखने को मिलता है जब थार रेगिस्तान की रेत पर चाँदनी रात में कलाकार अपनी प्रस्तुतियाँ देते हैं। लहरिया, बंधेज और मिरर वर्क से सजी पोशाकें, ढोल-नगाड़ों की थाप और मिट्टी से उठती सांस्कृतिक खुशबू इस मेले को जादुई एहसास में बदल देती हैं।

पर्यटकों के लिए खास अनुभव
देश-विदेश से लोग इस उत्सव का हिस्सा बनने आते हैं। जैसलमेर का सोनार किला, पटवों की हवेली और रेगिस्तान सफारी इस महोत्सव को और भी यादगार बना देते हैं।

मरु महोत्सव का संदेश
यह उत्सव सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि राजस्थान की गौरवशाली विरासत को जीवित रखने का प्रतीक भी है। यह बताता है कि रेगिस्तान सिर्फ रेत नहीं, बल्कि संस्कृति, संगीत और परंपराओं का खजाना भी है।

तो अगर तुमने अभी तक मरु महोत्सव नहीं देखा, तो अगली बार रेगिस्तान की इस रंगीन दुनिया का हिस्सा जरूर बनना! 🌅🔥

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