रिपोर्टर — प्रियंका रावत

हर साल 1 जुलाई को राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस यानी नेशनल डॉक्टर्स डे मनाया जाता है। चिकित्सक का मनुष्य की जिंदगी में बहुत ज्यादा महत्व होता है वे मनुष्य के रूप में भगवान होते है जो एक नई जिंदगी प्रदान करते है। राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस के दिन डॉक्टरों के महत्व के बारे में लोगों को जागरूक किया जाता हैं तथा उनके योगदान कि सराहना की जाती है।

इस साल की थीम कोरोना वायरस से जोड़कर रखी गयी है- ‘एक निष्पक्ष, स्वस्थ दुनिया का निर्माण।’

पहली बार नेशनल डॉक्टर्स डे जुलाई 1991 में मनाया गया था। यह दिन डॉक्टरों के प्रति आभार व्यक्त करने का अवसर देता है, जो चौबीसों घंटे अपनी सेवा प्रदान करते हैं। नेशनल डॉक्टर्स डे का महत्व इसी बात से लगाया जा सकता है कि आज इस महामारी में अपनी जान की परवाह किए बगैर डॉक्टर्स लोगों को नया जीवन देने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं।

यह दिवस भारत रत्न से सम्मानित भारत के उत्कृष्ट चिकित्सक डॉ बिधान चंद्र रॉय के जन्म के उपलक्ष्य मे प्रत्येक वर्ष १ जुलाई को मनाया जाता है। जिन्होंने पश्चिम बंगाल के दुसरे मुख्यमंत्री के रूप मे भी काम किया हैं। बिधान चंद्र रॉय का जन्म 1 जुलाई 1882 को बिहार के खजांची इलाके में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा भारत में और उच्च शिक्षा इंग्लैंड में पूरी की थी, वे एक समाजसेवक, आंदोलनकारी और राजनेता भी थे और इसी दिन 80 साल बाद उनकी मृत्यू हो गयी थी इनकी मृत्यू के बाद सन् 1976 में इन्हें याद करने के लिए डॉ बी सी राय राष्ट्रीय पुरुस्कार की स्थापना की गयी यह पुरुस्कार उन्हें सम्मान और श्रंद्धाजलि अर्पित करने के लिए था।
चिकित्सक द्वारा दिये गये योगदान से परिचित होने के लिए सरकारी और निजी संगठनों में विभिन्न तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते है।

डॉक्टर्स के बिना समाज की कल्पना करना असंभव है. डॉक्टर रोगी को मौत के मुंह से भी निकालकर ले आते हैं. डॉक्टर्स आयुर्वेदिक, ऐलोपैथी, होम्योपैथी, यूनानी अलग-अलग चिकित्सा पद्धतियों के जरिए मरीज को ठीक करने का प्रयास करते हैं. विश्‍वभर में कोरोना जैसी खतरनाक महामारी से जूझ रहे लोगों को ठीक करने में डॉक्टर्स अपनी भूमिका तत्परता से निभा रहे हैं. इसलिए उनका सम्मान जरूर करें.

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