अमेरिका की प्रमुख इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनी, टेस्ला इंक ने भारत में अपने परिचालन के विस्तार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है। टेस्ला ने हाल ही में भारत में हायरिंग शुरू कर दी है, जिससे यह स्पष्ट हो रहा है कि कंपनी जल्द ही भारतीय बाजार में प्रवेश कर सकती है। 17 फरवरी 2025 को लिंक्डइन पर कंपनी ने कस्टमर सर्विस और बैकएंड ऑपरेशंस से संबंधित कुल 13 पदों के लिए भर्तियों की घोषणा की। यह कदम टेस्ला के भारत में संभावित एंट्री का संकेत देता है, और इससे भारतीय ऑटोमोबाइल और तकनीकी उद्योग में एक नई हलचल उत्पन्न हो सकती है।

कई सालों से टेस्ला और भारत के बीच बातचीत होती रही है, लेकिन उच्च इंपोर्ट ड्यूटी के कारण टेस्ला ने भारत में अपने व्यापार को स्थापित करने में देरी की थी। कंपनी का ध्यान पहले अमेरिका और अन्य देशों में ही था, जहां उसे बेहतर बाजार और सपोर्ट मिला। हालांकि, अब भारत सरकार ने 40,000 डॉलर (करीब 35 लाख रुपये) से अधिक कीमत वाली इलेक्ट्रिक कारों पर इंपोर्ट ड्यूटी को 110% से घटाकर 70% कर दिया है। यह कदम भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री को बढ़ावा देने और देश के पर्यावरणीय उद्देश्यों को पूरा करने के लिए उठाया गया है। इसके परिणामस्वरूप, टेस्ला ने भारत में अपनी एंट्री को लेकर नए अवसर देखे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया अमेरिकी दौरे के दौरान, टेस्ला के सीईओ इलॉन मस्क ने प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की थी। इस मुलाकात में दोनों नेताओं के बीच व्यापार और तकनीकी सहयोग को लेकर बातचीत हुई थी, जिससे यह आशंका जताई जा रही है कि टेस्ला अब भारत में अपने प्रोडक्ट्स और सेवाओं को पेश करने के लिए तैयार है।
टेस्ला का भारत में प्रवेश भारतीय बाजार के लिए बेहद महत्वपूर्ण हो सकता है। भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग बढ़ती जा रही है, खासकर उन उपभोक्ताओं के बीच जो पर्यावरणीय दृष्टिकोण से सजग हैं और पेट्रोल-डीजल वाहनों की बढ़ती कीमतों से परेशान हैं। इसके अलावा, भारत सरकार की नीतियाँ और प्रोत्साहन भी इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के विकास में सहायक हो सकती हैं। भारत में टेस्ला का प्रवेश न केवल भारतीय उपभोक्ताओं को उच्च गुणवत्ता वाले इलेक्ट्रिक वाहन उपलब्ध कराएगा, बल्कि यह देश के लिए रोजगार और तकनीकी विकास के नए अवसर भी उत्पन्न कर सकता है।
टेस्ला के भारतीय बाजार में प्रवेश के बाद, न केवल भारत के उपभोक्ताओं को एक नई और उन्नत तकनीक की सवारी का अवसर मिलेगा, बल्कि इससे भारतीय ऑटोमोटिव उद्योग में भी प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, जो भारतीय कंपनियों को और अधिक विकसित और पर्यावरण-friendly उत्पादों की दिशा में प्रेरित करेगा। इससे भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में भी तेजी आ सकती है, और देश की बढ़ती कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में मदद मिल सकती है।

समग्र रूप से, टेस्ला का भारत में आगमन एक सकारात्मक कदम हो सकता है, जो देश की ऊर्जा नीति, पर्यावरणीय स्थिरता और तकनीकी विकास को बढ़ावा देगा। भारतीय उपभोक्ताओं के लिए यह एक बेहतरीन अवसर हो सकता है, क्योंकि उन्हें टेस्ला जैसी उच्च-स्तरीय इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता की सेवाएं और उत्पाद मिल सकते हैं।
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