हरियाली तीज को हरतालिका तीज के नाम से भी जाना जाता है।हरियाली तीज सावन महीने का एक बहुत बड़ा त्योहार है। ये व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु की कामना के लिए रखती है।तो वहीं कुंवारी लड़कियां मनोवांछित वर की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। यह पर्व हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है।

इस त्यौहार को हम मेहंदी समारोह भी कह सकते हैं क्योंकि इस दिन महिलाएं विभिन्न कलात्मक तरीकों से अपने हाथों, कलाई और पैरों आदि पर मेंहदी लगाती हैं। इसलिए हम इसे मेहंदी पर्व भी कह सकते हैं।इस दिन सुहागिन महिलाएं मेहँदी रचाने के पश्चात् अपने कुल की बुजुर्ग महिलाओं से आशीर्वाद लेना भी एक परम्परा है।इस उत्सव में कुमारी कन्याओं से लेकर विवाहित युवा और वृद्ध महिलाएं सम्मिलित होती हैं। नव विवाहित युवतियां प्रथम सावन में मायके आकर इस हरियाली तीज में सम्मिलित होने की परम्परा है। हरियाली तीज के दिन सुहागिन स्त्रियां हरे रंग का श्रृंगार करती हैं। इसके पीछे धार्मिक कारण के साथ ही वैज्ञानिक कारण भी शामिल है। मेंहदी सुहाग का प्रतीक चिन्ह माना जाता है।

हरियाली तीज का व्रत करते समय कुछ नियमों का पालन करना अनिवार्य है। आइए जानते हैं की इस व्रत के दौरान किन नियमों का पालन करना जरूरी है ?

हरियाली तीज का व्रत करते समय किसी पर क्रोध न करें।

इस दौरान दूसरों के प्रति नकारात्मक विचार न लाएं।

व्रत के दौरान किसी का अपमान न करें

हरियाली तीज का व्रत बहुत ही फलदायी है। इस दौरान लालची होने के स्वभाव से बचें।

व्रत के दौरान झगड़ों और झगड़ों से दूर रहें।

शास्त्रों के अनुसार इस व्रत में दूध का सेवन नहीं करना चाहिए।

इस व्रत में पानी पीना वर्जित है। इसलिए नियमों का पालन करते हुए इस व्रत को निर्जल रखें।

इस दौरान न सोएं। इसके अलावा भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान और जप कर सकते हैं।

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